
स्कूलों की छुट्टीयां होते ही निजी ट्रैवल बस वालो ने बढ़ाए रेट 4 हजार देना पड रहा किराया
बस आपरेटर का दुख :दर्द बस के आपरेटरों को ही अवगत हैं बस के कई मालीक कंगाल हो गये
मुंबई: मुंबई से मेवाड़ राजस्थान जाने के लिए स्कली बच्चों को छुट्टियां शुरू होने के साथ ही हवाई यात्रा महंगी होती है।हर कोई नहीं कर सकता है।रेल और प्राइवेट बस से सफर करने के अलावा हवाई यात्रा के अलावा कोई साधन नहीं है ।रेल सेवा मुंबई से उदयपुर सिर्फ हफ्ते में 3 दिन ही होती है और वो भी टाइम रात 11:15 बांद्रा से जो दूसरे दिन साय:3:00 बजे उदयपुर उतारती हैं।और जब की नाथद्वारा श्री नाथजी धार्मिक स्थल कुंभलगढ़ हल्दीघाटी चितोडगड़ विजय स्तंभ उदयपुर टूरिस्ट स्पॉट वैडिंग हब के साथ ही मार्बल फेल्श फार ग्रेनाइट का प्रमुख केंद्र है और उसकी अन देखी हमेशा केंद्र की सरकारों ने की हैं।और उसका खामियाजा मुंबई में व्यापार कर रहे छोटे और मध्यम परिवार मेवाड़ के प्रवासी को भुगतना पड़ रहा है। ओर ये खामियाजा निजी ट्रैवल बस में डबल स्लीपर 4 हजार देकर और सिंगल 2 हजार चुकाकर इस लूट का प्रमुख कारण न ही सरकारी परिवहन बस न ही रेलवे की ट्रेन जब की यूपी बिहार के लिए सैकडो रेल जाति ही और समर स्पेशल ट्रेन भी लगाई जाती है मगर मेवाड़ वालो का दुर्भाग्य है।की रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव खुद राजस्थानी है ।मगर वो भी मेवाड़ के लोगो के प्रति उदासीन होने के कारण मेवाड़ को रेल नेटवर्क की सौगात नही दे पाए जब की पहले दो रेल उदयपुर के लिए थी और अब उसको अजमेर तक बढ़ा दिया उसका दर्द मेवाड़ के प्रवाशियो को जेलना पड रहा है।और निजी ट्रैवल बस की लूट भी रेल न होने के कारण ही बढ़ी और राजस्थान और महाराष्ट्र सरकार वह मुख्यमंत्री परिवहन मंत्री निजी ट्रैवल बस के किरायों पर अंकुश लगाएं जिससे एक आम इंसान को अपने घर परिवार को लेजासके
निजी बसों के ऑपरेटर कमलेश जोशी ने बताया की ऑफ़ सीजन में गाडियां खाली जाती और खाली आती उस समय कोई नही बोलता और अभी भी वन वे ही ट्रेफिक हे।ये सीजन में राजस्थान से खाली आरही हैं। ट्रेवल हमारे को 60 से 70 हजार का खर्च आता है। आने जाने का और अभी 300 किमी नाशिक शिर्डी का एक राज्य फिरभी 800 रुपए सीट का ले रहे जब की राजस्थान 1000 किमी 3 राज्य होकर आना बड़ी बात नही हैं। नुक्सान का धंधा है हमारा
बस आपरेटर का दुख दर्द बस के आपरेटरों को ही अवगत हैं बस के कई मालीक कंगाल हो गये अपनी बस को कम दामों में बेचकर कर्ज को उतारा है यात्री को अपने घर के दरवाजे के सामने उतार कर सेवा प्रदान करते है और किसी यात्री के साथ धोखाधड़ी भी नहीं करते हैं फिर भी बदनामी बस वालों की करते हैं कदापि अच्छा विषय नहीं है मुंबई से नाथद्वारा तक बस का खर्च सुनेंगे तो होश उड़ जायेंगे बस वाले किराया लेते हैं तो दुख होता है मगर घाटे में बस चलती है तो किसी यात्री को चिन्ता नहीं बस वालों के परिवार चाहे
दिवालीयापन हो जाये आपको सिर्फ मुंबई से नाथद्वारा रेल के किराए जैसा देना अच्छा लगता है सोचनीय विषय है