

पवन वैष्णव
म्हारो राजस्थान राजस्थान टीवी
राजसमन्द:आमेट उपखंड के सरदारगढ़ श्रीराम कथा महोत्सव लावा सरदारगढ़ में संत श्री मुरलीधर जी महाराज द्वारा पुष्प वाटिका में श्री राम और जानकी जी
का प्रथम मिलन होता है।
जो पूर्वानुराग की अद्भुत और सौंदर्यमयी अभिव्यक्ति है। इधर गुरू की आज्ञा से श्री राम पुष्प वाटिका आते हैं और उधर माँ की अनुमति से सीता जी गिरिजा पूजन के निमित्त पुष्प वाटिका आतीं हैं।
सीता जी का संग छोड़ एक सखी वाटिका में फूलों का सौंदर्य निरख रही है। सहसा उसकी दृष्टि श्री राम और लक्ष्मण पर जा पड़ती है। वह चकित विस्मित व विस्फारित नेत्रों से श्री राम और लक्ष्मण का रूप-सौंदर्य-अवगाहन करती है, रोम-रोम पुलकित हो जाता है। उसकी अद्भुत दशा देख कर सखियां
भी चकित हो जाती हैं।
सीता जी के हृदय की उत्कंठा भी सखियों से छिपी नहीं है। मां जानकी जी को नारद मुनि की बातों का स्मरण हो आता है। और हृदय में पुरातन प्रीति की स्मृति जागृत हो जाती है।
सीता जी के चकित नयन और शिशुमृग सृदश मिश्रित हाव-भाव में अति ही शालीनता सौंदर्य का निर्वाह हुआ है। मुग्धा मृगी के नयन की भय मिश्रित उत्कंठा सम मर्मभरी भावाव्यक्ति है।
सीता जी के कंगन किंकणी और नुपुरों की मधुर ध्वनि मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम के चित्त पर कामदेव की विजय घोषणा का दम्भ भर रही है। समग्र विश्व को अपने रूप से आकृष्ट और मोहित कर लेने वाले श्री राम सीता जी के अलौकिक रूप-लावण्यमय को अपसब ठगे से निहारते रह जाते हैं।
सीता जी का अनुपम रूप-लावण्य और श्री राम जी का अभूतपूर्व प्रेम असीम मर्यादा के आवरण में मुखर है। सीता जी का सौंदर्य मानों स्वयं सौंदर्य की दीपशिखा बन कर सौंदर्य-भवन को प्रकाशित कर रहा है। श्री राम स्वयं सीता जी का सौंदर्य-वर्णन करने में अपनी असमर्थता का बोध कराते हैं।
पुष्प वाटिका में श्री राम और सीता जी का मिलन वस्तुतः शील और सौंदर्य का अनुपम मिलन है। श्री राम की मुख शोभा शब्दों से नहीं बखानी जा सकती और सीता जी का सौंदर्य भी शब्दों की सीमा में नहीं समाता है। औचित्य और मर्यादा का उल्लंघन महाकवि तुलसीदास जी के काव्य का भी सौंदर्य है।
अति पावन-हृदय अनुज लक्ष्मण से श्री राम सीता जी की शोभा का अनुभव बोध प्रकट करने का प्रयास करते हैं। वह रघुवंशमणि हैं।उनके स्वप्न में भी अब तक किसी पर-नारी का प्रवेश नहीं हुआ है। आज उनकी दशा अद्भुत बन गई है।
“रघुबंसिन्ह कर सहज सुभाऊ।मनु कुपंथ पगु धरइ न काऊ।।
मोहि अतिसय प्रतीति मन केरि। जेहि सपनेहुँ परनारि न हेरि।ही भाव दिव्य-प्रेम की पवित्रता और मर्यादा का शील-निरूपण कर रहा है। वस्तुतः पुष्प वाटिका का वर्णन सम्पूर्ण श्री रामचरित मानस में वर्णित भारतीय संस्कृति में निहित शील और सौंदर्य की अन्यतम अभिव्यक्ति है।
पुष्प वाटिका का सौंदर्य अलौकिक दिव्य-प्रेम व निष्कलुष सौंदर्य का शील सम्पन्न संगम स्थल है। इसकी प्रत्येक शब्द-ध्वनि में माधुर्य भाव गूंजते हैं। यह कवि और भक्त हृदय की निर्विकार सुन्दरतम काव्य-सर्जना है । झुक जाओ कौशल्या के लाल सीमा मेरी छोटी है । भजन पर कथा प्रेमियों ने जम कर ठुमके लगाए नाचकर आनंद लिया । यजमान परिवार से गोपीलाल, भंवर लाल,केशुलाल, नारायण सुथार, दिनेश , कैलाश सुथार,विजय राम व अतिथि विधायक सुरेंद्र सिंह राठौड़, महिपाल सिंह डोडिया, राजसमंद पूर्व विधायक बंशी लाल खटीक, बंशी दास वैष्णव,ग्राम पंचायत सरपंच प्रवीण मेवाड़ा, जिला बार एसोसिएशन अध्यक्ष राम लाल जाट, मुकेश वैष्णव,भरत सुथार, कृष्णा सुथार, दुर्गेश जोशी,उप सरपंच लक्ष्मण माली, बजरंग दास वैष्णव, किशन लाल माली सहित हजारों श्रीराम भक्त मौजूद थे । संचालन चन्दन सिंह राजपुरोहित ने किया।