Friday, March 14, 2025

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उड़त गुलाल,लाल भए बादल’.. श्रीजी प्रभु में अबीर गुलाल के बीच रसिया गायन की धूम

श्रीजी प्रभु की हवेली और वैष्णव जन हुए गुलाल,अबीर में सराबोर

श्रीजी प्रभु में कुंज एवं गुलाल कुंड के मनोरथ की धूम

होलकास्टक की गार सुनने उमड़े रसिक वैष्णव जन

                नरेन्द्र पालीवाल

        म्हारो राजस्थान राजस्थान टीवी

म्हारो राजस्थान राजस्थान टीवी राजसमन्द: नाथद्वारा पुष्टीमार्गीय प्रधान पीठ प्रभु श्रीनाथजी की हवेली में चालीस दिवसीय मदनोत्सव के अंतर्गत श्रीजी प्रभु की कामदेव विजय के उपलक्ष में डोल झूलने से पूर्व श्रीजी प्रभु की हवेली में मदनोत्सव अपने चरमोत्कर्ष पर है। जहां होलकाष्टक आरंभ होने के पश्चात तिलकायत की आज्ञा एवं विशाल बावा के निर्देशानुसार नित्य प्रभु को गुलाल. अबीर.चंदन,चौवा की विशेष अधिक की सेवा एवं कुंज और गुलाल कुंड के विशेष मनोरथ कराए जा रहें हैं। वहीं गार गायन, स्वांग(खेल),रसिया आदि। की पुष्टि परंपराओं के आयोजन से श्रीजी प्रभु की हवेली में विशेष आनंद बरस रहा है। जहां इन उत्सवों का हजारों वैष्णव जन नित्य रसिक रूप में आनंद ले रहे हैं। जिससे संपूर्ण पुष्टि सृष्टि आनंदमय और रसमय हो रही है। श्रीजी प्रभु में होलकाष्टक के आरंभ होने से कामदेव प्रभु को रिझाने के लिए नित्य नए अधिकाधिक प्रयास करते हैं,जैसे बेठे रसिया के साथ-साथ ठाड़े रसिया का गान,नवनीत प्रिया जी के चौक में गार गायन, गुलाल कुंड के मनोरथ, गुलाल-अबीर,चंदन,चौवा की प्रभु के सम्मुख अधिक सेवा आदि से प्रभु को रिझाने का कामदेव के द्वारा प्रयास किया जाता है। जिससे कि वह प्रभु को अपने प्रभाव में लेकर उन पर विजय पा सके। लेकिन प्रभु तो साक्षात निकुंज नायक है। उन पर कौन विजय पा सकता है।और वहीं डोल के दिवस कामदेव अपनी हार प्रभु के सम्मुख स्वीकार करतें है। और प्रभु को चंदन की पत्तियों से निर्मित झूला (डोल) झूलाते हैं।

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