Saturday, March 15, 2025

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पीएम नेआपातकाल लगाए जाने की निंदा करने वाले लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के प्रस्ताव का समर्थन किया 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा  ‘यह दर्शाया है कि किस प्रकार लोकतंत्र का गला घोंटा गया’ तानाशाही कैसी होती है।’

संविधान को रौंदा गया जनमत को दबाया और संस्थाओं को नष्ट किया लोक सभा अध्यक्ष ने आपातकाल की कड़ी निंदा की,

उस दौरान की गई ज्यादतियों को उजागर किया और यह भी बताया कि किस तरह से लोकतंत्र का गला घोंटा गया।

नई दिल्ली:आपातकाल लगाए जाने की निंदा करने वाले लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के प्रस्ताव का समर्थन करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि इस घटना ने ‘यह दर्शाया है कि किस प्रकार लोकतंत्र का गला घोंटा गया’ और ‘यह उदाहरण प्रस्तुत किया है कि तानाशाही कैसी होती है।’
एक्स (पहले ट्विटर) पर बात करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “मुझे खुशी है कि माननीय अध्यक्ष ने आपातकाल की कड़ी निंदा की, उस दौरान की गई ज्यादतियों को उजागर किया और यह भी बताया कि किस तरह से लोकतंत्र का गला घोंटा गया। उन दिनों में पीड़ित सभी लोगों के सम्मान में मौन खड़े होना भी एक अद्भुत भाव था।”आपातकाल 50 साल पहले लगाया गया था, लेकिन आज के युवाओं के लिए इसके बारे में जानना ज़रूरी है क्योंकि यह इस बात का एक सटीक उदाहरण है कि जब संविधान को रौंदा जाता है, जनमत को दबाया जाता है और संस्थाओं को नष्ट किया जाता है तो क्या होता है। आपातकाल के दौरान की घटनाओं ने एक तानाशाही की मिसाल पेश की,” पीएम ने आगे कहा।बुधवार को एक प्रस्ताव पढ़ते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आपातकाल लगाए जाने की निंदा की और कहा कि यह तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा संविधान पर सीधा हमला था।
उन्होंने कहा, “यह सदन 1975 में आपातकाल लगाने के निर्णय की कड़ी निंदा करता है। हम उन सभी लोगों के दृढ़ संकल्प की सराहना करते हैं जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया, संघर्ष किया और भारत के लोकतंत्र की रक्षा का दायित्व निभाया।”उन्होंने कहा, ‘‘25 जून 1975 को भारत के इतिहास में हमेशा एक काले अध्याय के रूप में जाना जाएगा। इस दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाया था और बाबा साहब अंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान पर हमला किया था।’’

बिरला ने कहा कि भारत को पूरी दुनिया में लोकतंत्र की जननी के रूप में जाना जाता है।

बिरला ने कहा, “भारत में हमेशा लोकतांत्रिक मूल्यों और विमर्श का समर्थन किया गया है। लोकतांत्रिक मूल्यों की हमेशा रक्षा की गई है, उन्हें हमेशा प्रोत्साहित किया गया है। इंदिरा गांधी ने ऐसे भारत पर तानाशाही थोपी। भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को कुचला गया और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घोंटा गया।”

उन्होंने कहा कि भारतीय नागरिकों के अधिकारों को कुचला गया और उनकी आजादी छीन ली गई।बिरला ने कहा, “वह समय था जब विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया था, पूरा देश जेल में तब्दील हो गया था। तत्कालीन तानाशाही सरकार ने मीडिया पर कई प्रतिबंध लगा दिए थे और न्यायपालिका की स्वायत्तता पर भी अंकुश था।”

कांग्रेस सहित विपक्षी सांसद खड़े होकर आपातकाल के संदर्भ के खिलाफ नारे लगा रहे थे।उन्होंने कहा, ‘‘25 जून 1975 को भारत के इतिहास में हमेशा एक काले अध्याय के रूप में जाना जाएगा। इस दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाया था और बाबा साहब अंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान पर हमला किया था।’’

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