Saturday, March 15, 2025

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रविन्द्र मुनि अतुल मुनि बिनोल से खटामला गांव में किया प्रवेश

केलवा के लिए करेंगे कल प्रस्थान

       राजकुमारजैन मनसुख तलेसरा

      म्हारो राजस्थान राजस्थान टीवी

राजसमंद:बिनोल ग्रामपंचायत तेरापंथ धर्म संघ के आचार्य श्री महाश्रमण के अज्ञानुवृति संत मुनि रविन्द्र कुमार एवम मुनि अतुल कुमार ठाणा 2 आज शनिवार बिनौ के सोडेला स्थित खाब्या की माइंस पर दो दिवसीय प्रवास पूर्ण कर खटामला के लिए प्रस्थान किया जहां खटामला वासियों ने जैन संतो की अगवानी की ओर बिनोल से प्रस्थान के दौरान गोविंदप्रकाशडांगी रोशनलाल बाफना ताराचंद चोरडिया ओमप्रकाश बाफना लादूलाल डांगी बाबूलाल इंद्रसिंह सहित कमलादेवी बाफना रोशनदेवी बाफना सहित जैन अजेन समाज की बहनें भी उपस्थित रही सोड़ेला में शुक्रवार को प्रवचन दिया जनता को

द्रौपदी अगर दो मिनट मौन रह लेती तो महाभारत जैसा महा तांडव नहीं होता।

  • मुनि अतुल कुमार युग प्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती शासनश्री मुनि रविंद्र कुमार एवं मुनि अतुल कुमार
    प्रातःकालीन प्रवचन माला में मुनि अतुल कुमार जी ने अपने उद्बोधन में कहा द्रौपदी अगर दो मिनट मौन रह लेती तो महाभारत जैसा महातांडव नहीं होता। जुबान पर कंट्रोल पाने वाला सारे संसार पर कंट्रोल पा सकता है। कुछ लोग वाणी के कारण दिल में उतर जाते हैं और कुछ दिल से उतर जाते हैं। कुछ लोग अपनी बातों से दिल को आग आग कर देते हैं और कुछ बाग बाग कर देते हैं। हमारी जिंदगी में पानी और वाणी दोनों का सर्वोपरि महत्व है। ज़हर उगलने का अर्थ आसान भाषा में जब कोई व्यक्ति अति कड़वा बोलता है तो सुनने वाला दुखी होता है और इसलिए कड़वे बोल बोलने वाले व्यक्ति के लिए कहा जा सकता है कि वह जहर उगल रहा है। हम भी कठोर शब्द बोल कर किसी को दुखी ना करें क्योंकि जो जैसा करता है वह वैसा ही भरता है। कुछ लोगों का स्वभाव ही ऐसा होता है कि वह हमेशा ज़हर ही उगलते हैं। जो बात-बात पर ज़हर उगलता है वह व्यक्ति हमेशा दुखी ही रहता है, क्रोध बुरी बला है। वैवाहिक जीवन में भले ही पति-पत्नी का शरीर अलग हो लेकिन मन से दोनों एक ही हैं। इसलिए हर पति पत्नी को समान अधिकार, समान सम्मान मिलना चाहिए। अक्सर कपल्स में झगड़ों की एक वजह खुद को साथी से बड़ा साबित करना होता है। गृहस्थ जीवन के लिए जरूरी है कि कपल एक-दूसरे को सम्मान दें ना कि उनके रंग-रूप और पैसों को अहमियत दें। गृहस्थ जीवन में आदर, स्नेह, सम्मान ज़रूरी है पैसे और खूबसूरती नहीं। परिवार में सभी के विचार, पसंद-नापसंद अलग हो सकते हैं लेकिन एक अच्छा मुखिया परिवार को साथ लेकर चलता है। सही अर्थ में इंसान की पहचान उसके सुंदर तन अथवा वस्त्रों से नहीं, उसके सुंदर विचार और वाणी से होती है। यानी वाणी व्यक्तित्व की पहचान होती है। भले ही कोई व्यक्ति कितना ही सुंदर क्यों ना हो, अगर वाणी में मिठास नहीं है, तो वह कभी भी किसी को अपनी ओर आकर्षित नहीं कर सकता। उचित अनुचित का ज्ञान रखकर बोलने से व्यक्तित्व प्रभावशाली बन सकता है। अगर वाणी में कठोरता है तो सामने वाला आपसे नफरत करेगा और नाराज भी होगा। वहीं अगर आप शालीनता से अपनी बात रखते हैं तो सामने वाला आपका प्रशंसक बन जाएगा। वास्तव में वाणी को संयम में रखने वाला व्यक्ति ऊंचाइयों तक पहुंच जाता है। इसके विपरीत अनियंत्रित वाणी वाले व्यक्ति को प्रायः जीवन भर सफलता प्राप्त नहीं हो पाती। परिवार, समाज में होने वाली तनातनी के बीच वाणी की ही भूमिका होती है। परिवार और समाज में कलह, झगड़े, लड़ाई आदि का आरंभ हमेशा ही वाणी से होता है। एक दूसरे को भला बुरा कहने पर ही लोग उत्तेजित होकर अनीति करते हैं, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो जाती है। मधुरता से कही गई बात कल्याण कारक रहती है। कटु वाक्यों का त्याग करने में अपना और औरों का भी भला है।
    .मुनि रविंद्र कुमार ने मंगल पाठ सुनाया। इस दौरान भंवर लाल गुर्जर सोहनी देवी गुर्जर (उप जिला प्रमुख), , पदम सिंह सोलंकी, कन्नी राम रेबारी, इन्द्र सिंह सोलंकी, मनोहर सिंह सोलंकी, सुरपालसिंह सोलंकी, बग्गाराम रेबारी, देवीलाल रेबारी, लाइन मेन किशनाराम,मालूराम गुर्जर सहित प्रवचन में काफी अच्छी संख्या में लोग उपस्थित रहे।

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