यहां प्राणप्रतिष्ठा नहीं की विश्वास स्वरूपम में मोजे भी पहनकर नहीं जाने देते
संसद और विधानसभा में मामला उठने के बाद ट्रस्टी ने रखा अपना पक्ष
म्हारो राजस्थान राजस्थान टीवी
शहर में सपना देखा और प्रभु ने साकार किया तो ये सभी हुआ नरे



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। नरेन्द्र र
पालीवाल
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राजसमंद राजसमंद के नाथद्वारा शहर में 120 फीट रोड़ स्थित विश्व की सबसे ऊंची 369 फीट शिव प्रतिमा में जूते व चप्पल पहनकर जाने का मामला 2 अगस्त को राजसमंद सांसद महिमा कुमारी मेवाड़ ने संसद में और नाथद्वारा विधायक विश्वराज सिंह मेवाड़ ने विधानसभा में उठाया।इसके बाद मामले ने तूल पकड़ लिया और कई सवाल खड़े हो गए। इधर मामले पर शनिवार देर शाम तत पदम् उपवन के ट्रस्टी मदन पालीवाल ने मीडिया के सामने अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि विश्वास स्वरूपम में जूते चप्पल तो दूर की बात, कोई भी मोजे पहनकर भी अंदर नहीं जाने देते है, इन सब बातों का शुरू से ही विशेष ध्यान रखा जाता है।’…श्रद्धा से आओगे तो शिव पाओगे’
ट्रस्टी मदन पालीवाल ने कहा कि शिव प्रतिमा दर्शनीय स्वरूप है पूजनीय नहीं। श्रद्धा से किसी पत्थर पर मालिपन्ने लगाकर नमन कर लेते हो क्या उस पत्थर की कभी प्राण प्रतिष्ठा की क्या, अगर आपकी श्रद्धा है तो कंकर भी शंकर है। यहां श्रद्धा रहित आओगे तो प्रतिमा पाओगे और श्रद्धा से आओगे तो शिव पाओगे।’आने वाली पीढ़ी को सनातन का दिया जाता है नोलेज’
पालीवाल ने कहा कि विश्वास स्वरूपम परिसर में रोजाना शाम 8 बजे लाइट एवं साउंड शो चलता है जिसमें आने वाली पीढ़ी सही राह पर चल सके हमारा सनातन क्या है और उसकी जड़े कितनी तेज है सहित लुप्त होती जा रही चीजों के बारे में बताया जाता है यहां किसी भी प्रकार का नृत्य नहीं किया जाता है।
विधायक और सांसद के सवाल उठाए मुद्दे पर कहा कि जिसको विश्वास स्वरूपम नहीं उच्चारित कर पा रहे, उन्होंने इस बारे में अपने विचार व्यक्त कर रहे है।’यह प्रतिमा व्यवसायिक नहीं है’
पालीवाल ने कहा कि यह ट्रस्ट व्यवसायिक नहीं है। इस प्रतिमा से 600 नन्दी जो कटने के लिए जाते है उनको बचाकर उनकी देखभाल की जाती है। गायों को पाला जाता है पक्षियों को दाना डाला जाता है इससे एक अन्न क्षेत्र चलता है जहां रोज के करीब एक हजार लोग नि:शुल्क भोजन करते है।
पालीवाल ने कहा कि विश्वास स्वरूपम के बनने के बाद रोजगार के अवसर के साथ स्थानीय व्यापार में भी बढ़ोतरी हुई है। विश्वास स्वरूपम में जूते चप्पल तो दूर की बात कोई भी मोजे पहनकर भी अंदर नहीं जाने देते है, इन सब बातों का शुरू से ही विशेष ध्यान रखा जाता है।–