
प्रेरक कर्नाटक कोहिनूर प्रवचन प्रभावक प. पू. आचार्य महेन्द्र सागर सुरीश्वरजी महाराज साहेब मुनि मेहरूपद्य सागर सुरीश्वरजी आदि ठाना 5
साध्वी श्री कल्याण धर्मा श्री आदि ठाना 3
60 तपस्वियों का हुआ स्वागत अभिनंदन
छत्तीस उपवास से लेकर इक्किश सोलह ग्यारह नौ आठ दिनों तक की तपस्या
90 वर्ष 60 वर्ष से 8 वर्ष की
उम्र तक के तपस्वीयो ने की तप आराधना
प्रमुख अतिथि विधायक भारती लवेकर और नगर सेवक आदि उपस्थित हुए
अनिल परमार
म्हारो राजस्थान राजस्थान टीवी
मुंबई श्री चंद्रप्रभ स्वामी जैन तपागच्छ श्वेताम्बर मूर्ति पूजक संघ अंधेरी (पश्चिम) द्वारा
जिनाज्ञा लाइक वर्षावास की स्पेशियल तप आराधना
चंद्र पूरी परनोत्सव नगरी में शनिवार सुबह भव्य वरगोड़ा अंधेरी स्टेशन का पास जैन देरासर से विंटेज कारों के साथ रथ बनी गाड़ियों में गाजे बाजे ढ़ोल नगाड़ों के साथ नाचते गाते हुए ।मंदिर से 4 किमी दूरी स्थित बने चित्रकूट ग्राउंड में भव्य आयोजन हुआ जिसमें सभी 60 तपस्वियों आराधकों को गुरुदेव ने मांगलिक सुनाया और तदपश्चात सभी का मंत्रोचार के साथ गुरुदेव ने पारणा पचकान कराया फिर सभी तपस्वियों ने एक एक कर गुरुदेव के दर्शन कर आशीर्वाद लिया ।और उसी के साथ तपस्वियों का बहुमान गाजे बाजे के साथ परिवार के लोग उनको हाथों में उठाकर मंच तक ले वहा से श्री संघ द्वारा बहुमान किया गया जिसमे सभी पांच तरह के पांच बोली दाताओं द्वारा पांच तरह के उपहार भेट कर उनका बहुमान किया जिसमे दूध से उनके पाव धोना वासछेप चावल सर पर पुरना वस्त्रम और भी कई उपहार जिनकी बोलिया लगी वो भेट की तपस्वियों को इस अवसर पर 11 वर्षीय नव दीक्षार्थी साध्वी ने भी अपनी गुरु 10 वर्षीय साध्वी के सानिध्य में तपस्या की को देखने लायक बना वही तप करने वालो में मां बेटा भाभी देवर बहु बेटा पोता पोती ननद भोजाई और कहितो पूरे परिवार ने तपस्या की हैं। इस दौरान जिनके सानिध्य मे 60 तपस्या हुई वो महान गुरु आचार्य कर्नाटक कोहिनूर प्रवचन प्रभावक प. पू. आचार्य महेन्द्र सागर सुरीश्वरजी महाराज ने बताया की
प्रेरक कर्नाटक कोहिनूर प्रवचन प्रभावक प. पू. आचार्य महेन्द्र सागर सुरीश्वरजी महाराज साहेब मुनि मेहरूपद्य सागर सुरीश्वरजी आदि ठाना 5
प. पू .साध्वी श्री कल्याण धर्मा श्री जी आदि ठाना 3 की पावन निश्रा में शांतावाडी पचकल्याण
चातुर्मास में दर्शन ज्ञान चारित्र की आराधना विशेष प्रकार से होती है उसके तत्वा में तप धर्म का आराधक सामूहिक रूप से आयोजित किया बहुत सारे आराधकों तपस्या की जिसमे 36 उपवास से 26 और 16 वह 11 एवम 9 के साथ 8 उपवास किए। और उम्र 90 वर्ष की माजी से लेकर 65 वर्ष और 8 वर्ष तक के तपस्वी जिन्होंने भगवान महावीर स्वामी के द्वारा बताए गए मार्ग पर चल उपवास किए और उनका आज अंधेरी श्री संघ द्वारा स्वागत सत्कार बहुमान किया गया। हमारे जैन धर्म में तप की बहुत बड़ी महिमा हैं ।भगवान महावीर स्वामी ने साढ़े बारह वर्ष की तपस्या में साढ़े ग्यारह वर्ष तप किया ।और उनको मोक्ष प्राप्त हुआ। जैनों को बचपन में तप के बारे में बताया जाता है ।तप में बहुत बड़ी शक्ति होती है और वो तप को करना बच्चपन्न
में ही सीखाया जाता हैं।वही दुनिया विश्व युद्ध के मुकाम पर खड़ी हैं।मगर उनको केवल भगवान महावीर के उपदेश ही शांतिकरा सकते हैं। हिंसा द्वेष लोभ घृणा मोह से और भगवान महावीर चले गए मगर उनका संदेश आज भी दुनिया को समझना चाहिए।जब जब अज्ञान बढ़ेगा हिंसा घृणा द्वेष और फिर अशांति बढ़ेगी।लोगो को भगवान के मार्ग पर चलना चाहिए।शांति और समृद्धि लाई जा सकती है। इस दौरान मुनि महरूप मेहरूपघ सागर सूरीश्वर जी आदि ठाना 5 और साध्वी श्री कल्याण धर्मा श्री आदि ठाना 3 उपस्थित रहे।