Friday, March 14, 2025

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चराचर जड़-चेतन में है भगवान की उपस्थिति- संत रमता राम रामस्नेही

भगवान नामदेवजी के जीवन प्रसंग पर भाव विभोर हुए भक्त

कुरज के श्रीराम द्वारा परिसर में भक्तमाल कथा का आयोज

                  खुशाल श्रीमाली

        म्हारो राजस्थान राजस्थान टीवी

राजसमंद: कुरज संत रमताराम रामस्नेही ने कहा कि व्यक्ति को हर क्षण भगवान के नाम का सुमिरण करते रहना चाहिए। नाम सुमिरण अनवरत करते हुए ।अंत करण शुद्व होते ही स्वत: ही हदय में भगवान की अनुभुति हो जाऐगी। भगवान चाराचर जड़ चेतन हर स्थान पर मोजुद है।
संत  ने समीपवर्ती कुरज कस्बे में चातुर्मास के पावन अवसर पर श्रीराम द्वारा परिसर में निरंतर चल रहे भक्तमाल कथा के प्रवचन कार्यक्रम में  भगवान के परम भक्त नामदेवजी महाराज के जीवन प्रसंग पर जानकारी देते हुए बताया कि नामदेवजी ने छोटी अवस्था में ही भगवान का साक्षात दर्शन कर लिया था। उनकी भक्ति में इतनी अधिक शक्ति थी कि भगवान के द्वारा प्रकट होकर नामदेवजी के हाथों से साक्षात दूध का प्रसाद ग्रहण करते थे।नामदेवजी के जीवन में अनेक प्रकार के दुख संकट आने पर भी उन्होनें भगवान के नाम को नहीं छोड़ा था। वो अनवरत रूप से भगवान की भक्ति व नाम जप्पा करते रहते थे। नामदेवजी चराचर प्राणी मात्र में अपने भगवान श्री के दर्शन करते थे। संत रमताराम रामस्नेही ने कहा कि नामदेवजी महाराज की भक्ति की शक्ति को  ज्ञान दृष्टि कहते हैं। भक्त जब भगवान की भक्ति में पूर्ण रूपेण सलगन हो जाता हैं। तब इस प्रकार की दृष्टि प्राप्त होती है। उन्होने कहा कि भक्त प्रहलाद, मीरा बाई, सुरदास सहित कई संतो व भक्तो ने अपनी भक्ति के माध्यम से प्रभु का साक्षात किया है। आमजन को भी निरंतर भगवान के नाम का सुमिरन करते हुए अपने अंत:करण को शुद्ध करना चाहिए। सदेव भगावन का स्मरण करते रहना चाहिए जिससे भक्ति की शक्ति को प्राप्त किया जा सके।  इस अवसर पर जगदीश चंद्र काबरा, कैलाश गिरी गोस्वामी, गिरिराज लाहोटी, बसंती लाल सोनी, कन्हैया लाल काबरा, गोपाल बाहेती, रोशन लाल सुखवाल, माधव लाल जाट, मोहनलाल खटीक, भेरूलाल माली, अमरचंद रैगर, बसंती लाल खटीक सहित कई पुरुष एवं महिलाएं मौजूद थे।

को शुद्ध करना चाहिए। सदेव भगावन का स्मरण करते रहना चाहिए जिससे भक्ति की शक्ति को प्राप्त किया जा सके।

इस अवसर पर जगदीश चंद्र काबरा, कैलाश गिरी गोस्वामी, गिरिराज लाहोटी, बसंती लाल सोनी, कन्हैया लाल काबरा, गोपाल बाहेती, रोशन लाल सुखवाल, माधव लाल जाट, मोहनलाल खटीक, भेरूलाल माली, अमरचंद रेगर, बसंती लाल खटीक सहित कई पुरुष एवं महिलाएं मौजूद थे।

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