राजस्थान में मायरा की सदियों पुरानी परंपरा आज भी निभाई जा रही
महेश पालीवाल
म्हारो राजस्थान राजस्थान टीवी
जयपुर: नागौर के बुरड़ी निवासी रामनारायण झाड़वाल ने अपनी बेटी के भरा मायरा, जिले के बुरड़ी निवासी सेवानिवृत्त शिक्षक रामनारायण झाड़वाल ने अपनी बेटी के दो करोड़ से अधिक का मायरा भरकर प्राचीन परम्परा व संस्कृति की जीवंत कर दिया। नागौर बेटियों के मायरा भरने में राजस्थान अग्रणी हैं ।नागौर जिले में शनिवार को मायरा भरा गया। जिले के बुरड़ी निवासी सेवानिवृत्त शिक्षक रामनारायण झाड़वाल ने अपनी बेटी के दो करोड़ से अधिक का मायरा भरकर प्राचीन परम्परा व संस्कृति की जीवंत कर दिया। डेह तहसील के बुरड़ी गांव के सेवानिवृत अध्यापक रामनारायण झाड़वाल व उनके बेटे डाॅ. अशोक झाड़वाल व रामकिशोर झाड़वाल ने। रामनारायण झाड़वाल की बेटी संतोष नागौर के निकट ही मालगांव ढाकों की ढाणी निवासी मनीराम ढाका से शादी हुई है। उनके लड़के की शादी में शनिवार को झाड़वाल परिवार ने अपनी बेटी के मायरा दिल खोलकर लेकर गए। इस मायरे में बेटी के साथ गांव की सभी बहन-बेटियों को वेष पहनाए और
नकद – एक करोड एक लाख
सोना – 25 तोला* चांदी – 5 किलो चांदी व 140 चांदी के सिक्के जमीन – नागौर शहर में भूखंड – कीमत करीब 30 लाख वाहन – एक बाजरे से भरी ट्रेक्टर-ट्रॉली कपड़े की गांठें बेटी व परिवार के कपड़े
रामनारायण झाड़वाल का बड़ा लड़का अशोक झाड़वाल नागौर जिला मुख्यालय के जेएलएन अस्पताल में फिजिशियन है, जबकि इनसे छोटा लड़का रामकिशोर इटली रहता है। मायरे खास बात यह रही कि इनके सभी रिश्तेदारों व दोस्तों आदि की मिलाकर करीब 250 कारों का काफिला साथ गया। राजस्थान में मायरा भरने कोई भी परिवार जिस गांव में जाते हैं, उस गांव की सरहद में घुसने से पहले सीमा पर खड़ी खेजड़ी को भी बेटी की तरह चूनरीओढाते हैं। इसके बिना उस गांव में प्रवेश नहीं करते हैं। प्राचीन काल से चली आ रही