Friday, March 14, 2025

Epaper

सायन-कोलीवाड़ा साध्वी प्रो.मंगलप्रज्ञा  के  सान्निध्य में पार्श्वनाथ जन्म कल्याणक मनाया गया

भगवान पार्श्व शक्तिशाली तीर्थकर के रूप में प्रख्यात हैं।  प्रो. साध्वी मंगलप्रज्ञा

                    विकास धाकड़
           म्हारो राजस्थान राजस्थान टीवी

मुंबई:तेरापंथ सभा भवन सायन कोलीवाड़ा  में समायोजित 23 वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ के जन्मकल्याणक के अवसर पर उपस्थित अनुष्ठान में संभागी श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए साध्वी प्रोफेसर मंगलप्रज्ञा  ने कहा-जिसके द्वारा कल्याण यानि स्वास्थ्य प्राप्त किया जाता है। उसे कल्याणक कहते है। तीर्थंकर कल्याणक ,शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य प्रदान करने वाले होते हैं। स्तवन मात्र से अव्यक्त आनन्द, शांति और शक्ति की अनुभूति होती है। तीर्थंकर पार्श्वनाथ एक शक्ति सम्पन्न आचार्य के रूप में प्रसिद्ध है। भगवान पार्श्व को पुरुषादानीय कहा गया है। बौद्धधर्म प्रवर्तक बुद्ध भी पार्श्व परम्परा में दीक्षित हुए थे। तीर्थंकरों के कल्याणक से नारकी जीव सुखानुभूति करते है। भगवान पार्श्वनाथ और महावीर दोनों ही ऐतिहासिक हैं। साध्वी श्री
ने कहा आज भगवान पार्श्व का वार्षिक जन्म कल्याणक दिवस है। आज के दिन विशिष्ट साधना करनी चाहिए। उवसग्गहर स्तोत्र अनुष्ठान की साधना के संदर्भ में साध्वी श्री ने ऐतिहासिक दस्तावेज प्रस्तुत करते हुए कहा – इस स्तोत्र का प्रादुर्भाव विशिष्ट घटना के साथ हुआ है। हठयोग प्रदीपिका आदि में पार्श्व परम्परा का उल्लेख मिलता है। जिनशासन के तेईसवें महासूर्य के रूप में दीपित भगवान पार्श्व की आराधना करने वाले भक्त सर्वाधिक है। भगवान पार्श्व चिन्तामणी पार्श्वनाथ के रूप में विख्यात है।अनेक तपस्वी तीर्थंकर के पांच कल्याणको को आधार मानकर तपस्या करते हैं। तप की साधना विजातीय तत्वों को दूर करती है। भगवान पार्श्व ने कर्म क्षय कर सिद्धत्व को प्राप्त कर लिया। उनका जीवन हमारे लिए प्रेरणा है। आदर्श है। उन्होंने अपने ज्ञान से अनेक जीवों का उद्धार किया है। हर तीर्थंकर के आराधक देव, देविया होते हैं। भगवान पार्श्व के उपासक देव धरणेन्द्र और पद्‌मावती देवी है। वाराणसी की ऐतिहासिक भूमि पर जन्मे राजा अश्वसेन महारानी वामादेवी के अंगज पार्श्वनाथ की आराधना करने से विघ्नों का विनाश संभव है। साध्वी श्री  ने उपस्थित श्रावक श्राविका परिवार को विशिष्ट अनुष्ठान करवाया। अनुभूत विशेष ऊर्जा प्राप्त कर संभागियों ने प्रसन्नता व्यक्त की। सम्पूर्ण परिषद् ने आभार व्यक्त किया। साध्वी वृन्द ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया। साध्वी सुदर्शन प्रभा , साध्वी अतुल यशा , साध्वी राजुल प्रभा  साध्वी, चैतन्य – प्रभा  एवं साध्वी शौर्य प्रभा  ने – ” पार्श्वनाथाय नमो नमः गीत की सामूहिक प्रस्तुति दी। साध्वी डॉ चैतन्य प्रभा  ने अपनी श्रद्धाभिव्यक्ति में कहा – भगवान पार्श्वनाथ साधना के शिखर पुरुष रहे हैं। उनका स्मरण बाधाओं का हरण करता है।कार्यक्रम का कुशल संचालन साध्वी अतुल यशा  ने किया । अनेक भाई बहनों ने तेले एवं उपवास की साधना की ।

आणखी वाचा

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisement -spot_img

चालू घडामोडी