महावीर नगर में भागवत ज्ञान यज्ञ सप्ताह








दिनेश पालीवाल
म्हारो राजस्थान राजस्थान टीवी
राजसमंद. राजनगर पंडित रामपाल शर्मा शास्त्री ने कहा कि भागवत किसी धर्म में बंधी हुई नहीं है। भागवत इसे सुनने वाले प्रतीक व्यक्ति का कल्याण करती है।
वे शहर के महावीर नगर में अग्रवाल समाज की ओर से आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ सप्ताह के तहत कथा प्रसंग के तहत उद्बोधन दे रहे थे। उन्होंने कहा कि मनुष्य चाहे तो पशु से ज्यादा गिर सकता है ।और देवता से ज्यादा ऊंचा उठ सकता है। उन्होंने कहा की भागवत मनुष्य के मां के अंधकार और ज्ञान को दूर करते हुए उसे ऊंचा उठाने का कार्य करती है। और सारे संसार को पवित्र करने का कार्य करती है। उन्होंने आत्मदेव की प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा। कि जाति और पांती तो हमने बानटे हैं बाकी मनुष्य स्वयं एक जाती है। और उसके कर्म के हिसाब से उसके वर्ण ब्राह्मण, क्षत्रिय आदि। अलग-अलग हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि धन की तीन गति होती है। प्रथम धन से दूसरों की सहायता, दूसरी उपभोग करें और यह दोनों अगर नहीं किया। तो तीसरी गति धन का नाश के रूप में होती है। इसलिए इस संसार में कोई तन से तो कोई मन से कोई धन से दुखी है। उनकी हर संभव सहायता करनी चाहिए।
शास्त्री ने धुंधकारी व गोकर्ण के प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि यह संसार अपने-अपने कर्मों से बंधा है। उसी से सुख दुख आदि मिलता है।हमें कोई और दूसरा ना तो सुख दे सकता है और ना ही दुख दे सकता है। उन्होंने कहा की इच्छाओं की अनंतता ही व्यक्ति को दुखी करती है। ऐसे में ईच्छा पर नियंत्रण से सुख प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि भगवान का भजन ही सच्चाई है। बाकी सब भ्रम और मिथ्या है। उन्होंने कहा कि आपका स्वयं का शरीर भी मिथ्या है। जिसे एक दिन जाना पड़ेगा। सच्ची तो सिर्फ आपकी आत्मा है। उन्होंने कहा कि ऐसे में हमें भागवत का सहारा लेना चाहिए। क्योंकि भगवत भक्ति उत्पन्न करती है। भक्ति शक और मोह को दूर करती है। उन्होंने कहा कि धान की शुद्धि दान से और समय की शुद्धि भगवान को याद करने से होती है। इस दौरान अग्रवाल समाज के जिला अध्यक्ष रमेश हरलालका, उपाध्यक्ष महावीर बंसल, प्रमुख सलाहकार गिरीश अग्रवाल, महिला जिला अध्यक्ष मोनिका अग्रवाल, राकेश अग्रवाल एवं अग्रवाल समाज के पदाधिकारी बड़ी संख्या में महिला व पुरुष श्रद्धालु मौजूद रहे।
झांकी ने मोहा मन
कथा अनुष्ठानकर्ता जगदीश अग्रवाल ने बताया कि कथा में प्रसंग के अनुसार सरसैया पर लेते भीष्म पितामह की झांकी काफी आकर्षक रही जिसने श्रद्धालुओं का मनमोहन लिया। इसके साथ ही कथा में प्रसंग के अनुसार बोल सुआ राम-राम मीठी मीठी वाणी रे, हां तोरा मन दर्पण कहलाए, जग में कोई न सुखिया रे एवं समय को भरोसो कोनी कद पलटी मार जाए, जैसे भजनों पर श्रद्धालु महिला पुरुष भक्ति नृत्य किए बिना नहीं रह पाए।
ग़ोशाला के लिए भेंट किए 51 हजार
भागवत कथा के दौरान भगवती देवी उदयपुर ने राजसमंद जिले गोशाला की गायों के लिए 51000 रुपए व्यास पीठ पर भेंट किए। कथा अनुष्ठानकर्ता अग्रवाल ने बताया कि आरती, झांकियां तथा व्यासपीठ पर आ रही समस्त चढ़ावा राशि का लेखा कथा विराम के बाद प्रतिदिन अलग से संधारित किया जा रहा है। एवं कथा समाप्ति के दिन कुल चढ़ावा राशि की घोषणा करते हुए ।उसी दिन जिले की जरूरतमंद गोशालाओं को दानकर दी जायेगी। बताया कि मलमास में गोमाता के लिए किया गया। दान अक्षय दान कहलाता है।