Friday, March 14, 2025

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अगर आपके जीवन में ज्यादा कष्ट है तो आप प्रभु के ज्यादा करीब हैं : शास्त्री


श्रीमद् भागवत कथा में आयोजित 56 भोग में लगा व्यंजनों का अंबार

                         दिनेश पालीवाल

                 म्हारो राजस्थान राजस्थान टीवी


राजसमंद. पंडित रामपाल शर्मा शास्त्री ने कहा कि दुनिया में जिस भी व्यक्ति के जीवन में कष्ट अधिक हैं, वह उतना ही प्रभु के अधिक करीब है। क्योंकि प्रभु उसी की परीक्षा लेते हैं।जो उनको प्रिय होते हैं। ऐसे में कभी इंसान को जीवन में आने वाले कष्टों से घबराना नहीं चाहिए।बल्कि उनका हंसते-हंसते सामना करना चाहिए।
वे महावीर नगर में अग्रवाल समाज की ओर से आयोजित श्रीमद् ज्ञान यज्ञ सप्ताह के तहत छठे दिन की कथा में विभिन्न प्रसंगों पर श्रद्धालु श्रोताओं को उद्बोधन दे रहे थे। उन्होंने कथा में धेनुकासुर एवं प्रलंबासुर आदि राक्षसों के उद्धार के प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा। कि जहां श्रद्धा है वहीं पर विश्वास है। और वहीं पर अपने आप में भगवत्ता है। कालिया नाग के प्रसंग का वर्णन करते हुए उन्होंने कालिया नाग को प्रदूषण का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि हमें किसी भी रूप में प्रदूषण नहीं फैलाना चाहिए। चाहे वह पर्यावरण में हो या अपने बोल-चाल की भाषा में हो। उन्होंने प्रभु की रासलीला का वर्णन करते हुए। कहा कि वासना का त्याग कर देना ही गोपी भाव है। इस प्रसंग का वर्णन करते हुए ।उन्होंने कहा कि गोपियों के तालाब में नग्न अवस्था में स्नान पर प्रभु श्री कृष्ण ने चीर हरण लीला के माध्यम से शिक्षा दी है। कि जल में नग्न स्नान करना वरुण देवता का अपमान है।
कथा में प्रसंग के अनुसार शास्त्री ने कहा कि कान्हा कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन दीपदान के दौरान तालाब से दीपों को बाहर निकाल कर ठेले में भर रहा था। इस पर मां यशोदा ने उन्हें टोका तो कान्हा ने कहा। कि वे उन्हें डूबने से बचाकर पार लगा रहे हैं। इस पर मां यशोदा कहती है। कि संसार में तो कई लोग डूब रहे हैं। तुम कितनों को बचाओगे। इस पर कन्हैया ने कहा कि जो मेरी तरफ आएंगेउनको मैं लगाऊंगा। इस प्रसंग के माध्यम से उन्होंने बताया। कि हमें हर समय प्रभु की ओर ही रहना है ।अर्थात उनकी भक्ति में ही लगे रहना है। तभी प्रभु हमें इस संसार से पार लगाएंगे। उन्होंने कथा में आए इंद्र के यज्ञ करने के प्रसंग पर यज्ञ की महिमा का वर्णन करते हुए कहा। कि जितना हो सके उतना उपकार करो यही सच्चा यज्ञ है। उन्होंने प्रभु श्री कृष्ण की रासलीला के माध्यम से जीवन में कभी अहंकार नहीं करने की शिक्षा दी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कभी किसी के रूप पर हंसना या उसका मजाक नहीं बनाना चाहिए। भागवत हमें यही सीख देती है। जिसे सभी को जीवन में अपनाना चाहिए। उन्होंने भगवान भोलेनाथ के रूप बदलकर रासलीला में जाने के प्रसंग पर चर्चा करते हुए कहा कि भारतीय सभ्यता और संस्कृति के पहनावे को त्याग मत देना। क्योंकि वह परीक्षित है।
कथा के दौरान 56 भोग मनोरथ का आयोजन भी किया गया। इसमें कथा अनुष्ठान करता जगदीश अग्रवाल परिवार की ओर से विभिन्न व्यंजनों का भोग प्रभु के समक्ष कराया गया। वही बड़ी संख्या में भक्तों की ओर से भी विभिन्न व्यंजनों का भोग प्रभु के समक्ष धराया गया। इसके साथ ही कथा में इंद्र का मान मर्दन करने, कंस वध आदि ।की झांकी ने भी श्रद्धालुओं का मन मोह लिया।
गौशाला के लिए एक लाख एक हजार रुपए भेंट
भागवत कथा के दौरान गौशाला के लिए भीम का क्रम निरंतर जारी है। इसके तहत अग्रवाल समाज की प्रमुख सलाहकार गिरीश अग्रवाल ने एक लाख ₹1000 की राशि भेंट की। इसी तरह अग्रवाल समाज के महिला प्रगति संस्थान ने 5100, कैलाश चौधरी ने 11000 एवं चंद्रकांता जेतलिया ने भी आर्थिक सहयोग प्रदान किया।
यह रहे अतिथि
कथा के दौरान कांग्रेस कमेटी के जिला अध्यक्ष हरि सिंह राठौड़, पूर्व जिला प्रमुख नारायण सिंह भाटी, पूर्व नगर परिषद सभापति आशा पालीवाल, रेड क्रॉस सोसाइटी के अध्यक्ष कुलदीप शर्मा, कटर एसोसिएशन के नानालाल शार्दुल अतिथि के रूप में मौजूद थे। वहीं महावीर बंसल, रमेश हरलालका, मोनिका अग्रवाल सहित अग्रवाल समाज के पदाधिकारियों ने व्यवस्थाओं में सहयोग किया।
भजनों से बिखरे भक्ति के सुर
कथा के दौरान कूदे जमुना में कन्हैया लेके मुरली, बस की बांसुरिया पे घणो इतरावे, नहीं माने मेरा मन में गोवर्धन को जाऊं, बंसी जोर की बजाई रे नंदलाला, इक दिन भोले वो भंडारी बनके ब्रज की नारी, ओ मां तू कितनी अच्छी है। एवं मथुरा में मामा कंस को मारा नटवर नागर नंदलाला, आदि। भजनों की प्रस्तुतियों पर श्रद्धालु भाव- विभोर होकर झूमे बिना नहीं रह पाए।

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