

विकास धाकड़
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मुंबई:कालबादेवी में परिवार प्रशिक्षण कार्यशाला का भव्य आयोजन महाप्रज्ञ पब्लिक स्कूल मेंहुआ परिवार संस्कारों की प्रयोगशाला है। प्रो. साध्वी मंगलप्रज्ञा प्रोफेसर साध्वी मंगल प्रज्ञा जी के सान्निध्य में, महाप्रज्ञ पब्लिक स्कूल प्रांगन के आचार्य तुलसी सभागृह में समायोजित “परिवार प्रशिक्षण कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए । साध्वी मंगलप्रज्ञा ने कहा- जो व्यक्ति समूह में जन्म लेता है ।और समूह में जीता है, यह सौभाग्यशाली होता है। व्यक्तिगत और सामूहिक दो प्रकार की जिन्दगी होती है। समूह का अपना अनुशासन होता है। नियम होते हैं, मर्यादाएं होती हैं। पारिवारिक जीवन में कुछ महत्त्वपूर्ण चिन्तनीय सूत्र होते हैं। समूह में रहने वाला हर सदस्य यह चिन्तन करे- मेरे व्यवहार से दूसरे को समस्या न हो। सबके चिन्तन, विचार अलग- अलग होते हैं, आवश्यक है। सद्विचार, सद्चिन्तन का आदर करें। आज स्थितियां ऐसी बन रही है ।परिवार के सदस्य एक साथ रहकर भी अकेले पन की अनुभूति कर रहे हैं। एक छत के नीचे रहते हुए भी बिखरे – बिखरे हैं। मात्र ईंट और पत्थर से बना मकान होता है, सच्चाई यह है- प्रेम और स्नेह से घर का निर्माण हो। करियर बनाने की होड़ में दोड़ने वाली भावी पीढ़ी को हर अभिभावक संस्कारों का सिंचन दें। प्रारंभ से इस दृष्टि से जागरुक रहना चाहिए। साध्वी श्रीं ने कहा- परिवार संस्कारों की प्रयोगशाला है। बरसात के बिना फसलें नष्ट हो जाती है उसी प्रकार संस्कार सिंचन के अभाव में नस्ले खराब हो जाती है। आज यही वजह है रिश्ते टूटते जा रहे हैं। परिवार हो, या समाज – दोहरी मानसिकता विकास में बड़ी बाधा पैदा करती है। जिन्दगी आसान नहीं होती। पर उसे आसान बनाया जा सकता है। सामूहिक जिन्दगी में कई बातों को लेट गो करना सिखे। वक्त आने पर सॉरी बोलना बड़प्पन है। परिवार में सौहार्द स्थापित करने के लिए कुछ अपने अंदाज से और कुछ बातों को बे अंदाज करना सीखें | यदि किसी की भूल बताएं तो एकान्त में और अच्छाईया बतानी हो तो समूह में बताने से चुकें नहीं। पारिवारिक सामंजस्य कायम रखने के लिए अपनी संतानों की सदसंस्कारों से परवरिश करें। करियर और धन बहुत कुछ होते हैं।पर सब कुछ नहीं होते । सम्पूर्ण परिषद को विशेष प्रेरणा प्रदान करते हुए साध्वी प्रो. मंगलप्रज्ञा ने कहा- अपने परिवार को आदर्श बनाएं। हर अभिभावक अपने दायित्वों का बखूबी निभाएं। रोल मॉडल बनें। अध्यात्म की सौरभ से हर सदस्य के मन को सुरभित करें।
साध्वीवृन्द के भिक्षु-स्तवन से कार्यशाला की शुरुआत हुई। साध्वी डॉ चैतन्य प्रभा ने कहा- परिवार में शान्त सहवास के लिए सम्यक दृष्टि- कोण की अपेक्षा है।
साध्वी सुदर्शन प्रभा साध्वी अतुल यशा एवं साध्वी चैतन्य प्रभा ने – ” परिवार सुहाना उपवन है” – गीत का सह- संगान किया। अपने संयोजकीय वक्तव्य में साध्वी सुदर्शन प्रभा ने Watch की व्याख्या करते हुए। कहा कि W यानी हम अपने words (शब्दों) का सही चयन करें, A अर्थात् कि एक्शन (व्यवहारिक तरीका) ठीक करें।,T यानि अपने thoughts (चिन्तन) को सकारात्मक बनाएं, C अर्थात Character (चारित्र) को पवित्र बनाएं और H अर्थात अपनी habits (आदतों) को सही रखने का प्रयास करें साध्वी डॉ राजुल प्रभा ने कहा – साध्वी जी द्वारा हमें मंत्र के रूप में अनेक सूत्र मिले हैं। उन सूत्रों को अपना कर हम जीवन की राहों पर चलेंगे तो सफलता अवश्य मिलेंगी। इस कार्यक्रम में आचार्य महाप्रज्ञ विद्यानिधि फाउंडेशन, श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, तेरापंथ युवक परिषद्, तेरापंथ महिला मंडल एवं श्रावक समाज की अच्छी उपस्थिति रही।