चौमुखा महादेव मंदिर में भागवत कथा का शुभारंभ




राजसमंद. जल चक्की स्थित श्री चौमुखा महादेव मंदिर में तेली समाज की ओर से आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा मैं पहले दिन कथा वाचक पंडित राजेंद्र तिवारी ने कहा की भागवत व्यक्ति को धर्म के मार्ग पर चलना सिखाती है। उन्होंने भागवत के माहात्म्य का वर्णन करते हुए कहा कि धर्म का मतलब पूजा पाठ या प्रभु की स्तुति ही नहीं है, बल्कि धर्म का मतलब है अपने कर्तव्य और कर्म का पालन करते हुए नीति के अनुसार जीवन जीना और दूसरों के सुख-दुख में भागीदारी निभाते हुए आगे बढ़ना है। उन्होंने आत्मदेव की कथा का वर्णन करते हुए कहा कि उनके दो पुत्र को गोकर्ण और धुंधकारी थे, लेकिन दोनों के गुण एक दूसरे के विपरीत थे एक अति धार्मिक था तो दूसरा पापी और अत्याचारी था। उन्होंने कहा कि धुंधकारी की इच्छाएं कभी पूर्ण नहीं हुई जबकि गोकर्ण धार्मिक प्रवृत्ति में रहते हुए उनकी कभी कोई इच्छा ही नहीं रही । उन्होंने कहा कि ऐसे में अगर वर्तमान समय में भी हमने अपने मन को साध लिया तो सब को साध लिया, मन अगर वश में हो गया तो फिर व्यक्ति के राग द्वेश, दुख सब जाते रहते हैं। उन्होंने भगवान की भक्ति करने के संबंध में कहा कि आज के युग में व्यक्ति प्रभु की भक्ति तो करता है, लेकिन वह अपने स्वार्थ के लिए करता है। जैसे कि हे प्रभु मेरे बच्चे की अच्छी जगह शादी करवा देना या मेरा भला काम करवा देना मैं सवामणि करूंगा या मैं इतने रुपए का प्रसाद चढ़ाऊंगा आदि। इस तरह की भक्ति कभी फलीभूत नहीं होती। उन्होंने कहा कि भक्ति करनी है तो निस्वार्थ और स्वच्छ मन से करनी चाहिए जिसमें प्रभु के समक्ष कोई मांग नहीं रखनी चाहिए। भगवान स्वयं अंतर्यामी है उन्हें पता है कि मेरे भक्त की क्या समस्या है और उसे क्या चाहिए। कथा के दौरान इतनी कृपा सांवरे बनाए रखना मरते दम तक सेवा में लगाए रखना, भजन के साथ ही प्रसंग के अनुसार संगीत में भजनों की प्रस्तुति पर श्रद्धालु महिलाओं ने भक्ति नृत्य किया। कथा अधिष्ठाता दिनेश चंद्र तेली और परिवार ने सामूहिक रूप से भागवत जी की आरती उतारी।