राम कथा में उत्साह के साथ संपन्न हुआ शिव पार्वती विवाह



पवन वैष्णव
म्हारो राजस्थान राजस्थान टीवी
राजसमंद:आमेट उपखंड के
लावा सरदारगढ़ श्री राम कथा सेवा समिति के तत्वावधान में रविवार को आरंभ हुई 9 दिवसीय श्री राम कथा के दूसरे दिन मानस संत मुरलीधर महाराज जोधपुर ने व्यास पीठ से पहले दिन की कथा के विराम के बाद कथा को गति प्रदान करते हुए। कहा कि जुही मेरे प्रभु की नजर सती पर पड़ी.. पूज्य तुलसीदास जी कहते हैं । सती कपट जानुउ सूर सामी देवताओं के स्वामी है राम जी देवता के स्वामी से क्या छुपाना। सुमिरन जासु मिटे अज्ञाना.. जिनका नाम स्मरण करने से ही जीवन का अज्ञान मिट जाता है। दुनिया में जितने ही लोग हैं। हमें ज्ञान नहीं है। ज्ञान जब हो जाता है। तो वह संसार से विरक्त हो जाता है। ऐसे तो सभी जानते हैं की जन्म लिया तो मरना ही है, पर मानने को कोई तैयार नहीं। समदर्शी सम अंतर्यामी राम जी समदर्शी हैं । अंतर्यामी है। संत ने आगे फरमाया कि राम नाम जो व्यक्ति निरंतर स्मरण करता है। उसका अज्ञान मिट जाता है। उसे पता चल जाता है जगत मिथ्या है। और राम नाम ही सत्य है। यह प्रभु कृपा से पता चलता है। पता सबको चलता है ,ऐसा नहीं है कि किसी को नहीं चलता पर किसी को जवानी में पता चलता है। किसी को बाल्यकाल में, किसी को 50 वर्ष की उम्र में तो किसी को 70 वर्ष की उम्र में पता चलता है। किसी को मरते वक्त चलता है। जब सामने यम का दूत खड़ा होता है। राम जी सर्वज्ञ है। कथा के दौरान एक प्रसंग पर संत मुरलीधर जी महाराज ने कहा कि हमारे यहां तीन लोगों का नाम नहीं लिया जाता है। शिष्य कभी गुरु का नाम नहीं लेता ।पत्नी कभी पति का नाम नहीं लेती तो पति कभी पत्नी का नाम नहीं लेता। क्योंकि नाम लेने से उम्र कम होती है। हास्य व्यंग्य के दौरान संत ने कहा कि अब तो महाराज फैशन हो गई है। शहरों में तो पति का पता ही नहीं चलता है कि पति है या बावर्ची । वर्तमान में पत्नी को तीन नाम से पुकारा जाता है। धर्मपत्नी, पत्नी और वाइफ। पत्नी के इन तीन नाम को विस्तार से बताते हुए संत महाराज ने कहा कि धर्मपत्नी पति के पद चिह्नो पर चलती है। जो पति की अनुगामी होती है ।धर्म का आचरण कर पति के पीछे-पीछे चलती है। वह धर्मपत्नी कहलाती है। दूसरा पति के साथ कंधा से कंधा मिलाकर चले वह होती है। पत्नी और जो हाथ में बटवा (पर्स) लिए चले वह है वाइफ। वाइफ शब्द के एक-एक शब्द का शब्दार्थ करते हुए ।बताया कि व डब्ल्यु का अर्थ विदाउट, आई शब्द का मतलब इनफॉरमेशन (सूचना ),एफ शब्द का मतलब फाइट और आई शब्द का मतलब एवरी टाइम यानी कि बिना सूचना दिए जो हर समय लड़ने को तैयार रहे वह है वाइफ। इसलिए गलती से भी कभी यह नहीं कहना चाहिए कि यह मेरी वाइफ है।
महाराज ने पार्वती जी के छोटी उम्र में तप और भजन करने के प्रसंग को श्रोताओं के समक्ष रखते हुए कहा कि व्यक्ति को समय रहते भजन में लग जाना चाहिए । क्योंकि जीवन का कोई पता नहीं जीवन कि क्षणभंगुरता इस बात की पर्याय है, कि भजन करने का जो समय मिले वही उचित है । बुढ़ापे में भजन नहीं हो पाते। क्योंकि उस समय शरीर में व्याधि उत्पन्न हो जाती है। इस प्रसंग के माध्यम से संत श्री मुरलीधर जी महाराज ने कहा कि व्यक्ति को जीने का तरीका तब आता है। जब उसका जीवन चला जाता है। इसलिए कथाओं के माध्यम से हम अपने जीवन की सार्थकता को समझे और समय के साथ अपने जीवन को भक्ति के क्षेत्र में और भजन के क्षेत्र में समर्पित करें। इससे पूर्व मानस पूजन के साथ आरंभ हुई कथा में सती के द्वारा प्रभु श्री राम का अपमान करने एवं सती के द्वारा उनकी परीक्षा लेने के कारण भगवान शिव ने सती का त्याग कर दिया, लेकिन मरते हुए सती ने यही प्रार्थना की कि मुझे जन्म जन्म में शिव ही पति रूप में मिले उसके पश्चात उनका जन्म हिमाचल जी के यहा हुआ और उन्होंने अपने त्याग और तपस्या से भगवान शिव को पति रूप में पाया। उसके पश्चात संत श्री मुरलीधर जी महाराज ने भगवान शिव और पार्वती की विवाह की बड़ी रोचक और प्रासंगिक कथा को श्रोताओं के समक्ष रखा। जिसे सुनकर श्रोता आनंदित हो गये। शिव विवाह के अनेक रोचक प्रसंगों से कई बार श्रोताओं के चेहरे पर एक अलग सी हंसी देखने को मिली । श्रीराम कथा आयोजन समिति के सदस्य कैलाश सुथार व मुकेश वैष्णव ने बताया कि दूसरे दिन की कथा में यजमान सुथार परिवार की ओर से भंवरलाल, गोपीलाल,केशुलाल,रामचंद्र नारायणलाल सुथार, दिनेश, कैलाश सुथार,विजय राम द्वारा व्यासपीठ, संतो व अतिथियों का स्वागत किया गया। इस अवसर पर राजसमंद संसदीय क्षेत्र की सांसद महिमा कुमारी मेवाड़, कुम्भलगढ विधायक सुरेंद्रसिंह राठौड़, राजसमंद पूर्व विधायक बंशीलाल खटीक, पूर्व जिला प्रमुख नन्द लाल सिंघवी, जिला संघ संचालक नारायण लाल उपाध्याय, नारायण लाल सुथार, दिनेश चंद्र सुथार, कैलाश चंद्र,
पूर्व उप प्रधान लोकेन्द्रसिंह राठौड़ , हरिसिंह राव, शिवचरण सिंह चौहान, ओलना खेड़ा पंचायत प्रशासक दिनेश वैष्णव, कान सिह भीलमंगरा, जगदीश दास वैष्णव, जगदीश चंद्र देशांतरी, कृष्णा सुथार, नरेंद्र सोनी,भबुतसिंह,जमुना शंकर आमेटा, नाथूलाल आमेटा, कालूराम कीर, हस्तीमल सोनी, बजरंगदास वैष्णव, उप सरपंच लक्ष्मण माली, किशन लाल माली खेड़िया सहित श्री राम कथा सेवा समिति के सभी सदस्य उपस्थित थे।